शर्मा, अजा
(2020)
समझ की रिवउकी रवोलता है साहित्य.
Paathshaala Bhitar aur Bahar, 2 (4).
pp. 87-96.
Abstract
स्कूलों में पढ़ना-लिखना सिखाने की जद्दोजहद में पढ़कर समझने, सवाल करने,
ख़ुद का नया लिखने और लिखे हुए पर प्रतिक्रिया देने जैसी महत्त्वपूर्ण प्रक्रियाएँ सीमित
हो जाती हैं। चिन्तनशील साक्षरता की जो बात आजकल होती है उसके लिए ज़रूरी है कि
बतौर पाठक बच्चों को हम एक स्तर आगे लेकर आएँ और लिखे के पार जाना सिखाएँ।
चिन्तनशील पाठक बनने और साहित्य का आस्वादन करने के लिए संवाद की यह प्रक्रिया
बेहद ज़रूरी है। बच्चों के साथ काम करने के अपने ज़मीनी अनुभवों से समृद्ध अजा का
यह आलेख। सं.
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