नवा जतन: शिक्षक संदर् शिका

., . नवा जतन: शिक्षक संदर् शिका. pp. 1-27.

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Abstract

हम सभी शिक्षा की वर्तमान स्थितियों से परिचित हैं। कोविड-19 की दस्तक ने भारत बंद की उद्घोषणा से हर उद्यम के बाहर ताला लगा दिया। आज समूचे विश्व की अर्थव्यवस्था, शैक्षिक व्यवस्था तथा सामाजिक स्तर को इस महामारी ने प्रभावित किया है। स्कूलों के खुले गेट बंद हो गए और बच्चे घरों में सिमट कर रह गए। शिक्षा को बढ़ाने की दिशा में सरकार द्वारा दिशा निर्देश समय-समय पर दिए गए। इस स्थिति में ऑनलाइन माध्यमों से बच्चों तक शिक्षा पहुंचाने की शुरुआत की गई। राज्य के शिक्षकों ने 'पढ़ई तुंहर द्वार' कार्यक्रम के माध्यम से बच्चों को जोड़े रखने का प्रयास किया। स्थानीय स्तर पर शिक्षक साथियों ने विभिन्न प्रकार के नवाचारी तरीकों जैसे मोहल्ला क्लास, ऑनलाइन कक्षा, बुल्टू के बोल आदि ऑनलाइन व ऑफलाइन तरीकों से बच्चों को शैक्षणिक गतिविधियों से जोड़े रखने का भरपूर प्रयास किया। ग्रामीण क्षेत्र में निवास करने वाले छात्र- छात्राओं के लिए यह व्यवस्था ज्यादा कारगर साबित नहीं हो सकी क्योंकि वहां अधिकतर लोगों के पास ऑनलाइन पढ़ाई करने के लिए ना तो एंडरॉइड फोन हैं और ना ही नेट की उचित व्यवस्था है। परिणाम यह हुआ कि भारत बंद होने से पूर्व बच्चों ने जो सीखा था, उनमें से भी कुछ बातें कई बच्चे भूल गए और उसके बाद स्कूल खुलने के पहले तक बच्चे जो सीख सकते थे, तत्कालीन परिस्थितियों (विद्यालय के बंद होने) के कारण नहीं सीख पाए।

Item Type: Article
Authors: ., .
Document Language:
Language
Hindi
Subjects: Social sciences > Education
Divisions: Foundation Publications
Full Text Status: Public
URI: http://publications.azimpremjiuniversity.edu.in/id/eprint/5617
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