शुक्ला, दीपाली
(2023)
ज़िन्दगी और जीवटता की बुनावट : किमिया.
Pathshala Bheetar Aur Bahar, 5 (16).
pp. 90-91.
ISSN 2582-483X
Abstract
जब पहली बार यह किताब हाथ में आई तो इसका शीर्षक यह इशारा कर रहा था कि कहानी एक लड़की के बारे में है, और आवरण पर बना चित्र भी इस बात को पखु़्ता कर रहा था। पहली बार इसको जब पढ़ा तो लगा कि कहानी बेहद परतदार है और इसके चित्र तमाम रंगों को समेटते हुए भी बेहद सादगीभरे हैं। कहानी में जो घट रहा है, क्या वो केवल किमिया का ख़याल है या इसके इतर मौत की हक़ीक़त है?
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