प्यारी मदाम मौत

प्रभात, . (2023) प्यारी मदाम मौत. Pathshala Bheetar Aur Bahar, 5 (16). pp. 87-94. ISSN 2582-483X

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Abstract

क्या बच्चों को ऐसी किताबें पढ़ने के लिए दी जानी चाहिए जिनमें मृत्यु होती हो, या जो मृत्यु सम्बन्धी वर्णनों को पेश करती हों? कुछ लोग कहते हैं, “नहीं।” उनकी मान्यता रहती है कि इससे बच्चे के कोमल मन पर बुरा प्रभाव पड़ेगा। उसे अभी से मृत्यु के बारे में बताना, जल्दबाज़ी भरी ज़्यादती है। इस तरह की मान्यता रखने वाले लोगों से पूछा जाए कि और क्या–क्या ऐसा है जो बच्चों को अभी नहीं पढ़ाया जाना चाहिए। बिना किसी सोच में पड़े वे बता देंगे कि ऐसी किताबें पढ़ने को नहीं देनी चाहिए जिनमें हिंसा हो, ऐसी भी नहीं पढ़वानी चाहिए जिनमें प्रेम हो और ऐसी भी नहीं जो हमारे खानपान, रहन–सहन के अनुकूल न हों। लोगों की यह नकारात्मकता कभी–कभी तो साम्प्रदायिक हदों को छूने लगती है। वे मुखर होकर कहते तो नहीं लेकिन उनके बौद्धिक विमर्श का सार यही निकलता है कि ऐसी किताब नहीं पढ़वानी चाहिए जिसमें जिन्ना टोपी का ज़िक्र हो, क्योंकि वह हिन्दूवादी रुझानों वाली सरकार को पसन्द नहीं आएगा। तो क्या सरकारों की पसन्द और नापसन्दगी को भी ज़ेहन में रखकर बच्चों के लिए किताबें चुननी होंगी?

Item Type: Articles in APF Magazines
Authors: प्रभात, .
Document Language:
Language
Hindi
Subjects: Social sciences
Divisions: Azim Premji University > University Publications > Pathshala Bheetar Aur Bahar
Full Text Status: Public
URI: http://publications.azimpremjiuniversity.edu.in/id/eprint/5102
Publisher URL:

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