त्रिवेदी, अंजना
(2023)
बाल साहित्य में गुँथे मानवीय–सामाजिक मूल्.
Pathshala Bheetar Aur Bahar, 5 (16).
pp. 15-21.
ISSN 2582-483X
Abstract
यह लेख बच्चों के जीवन में बाल साहित्य की अहमियत को दर्शाता है और बच्चों के बीच इसके अभाव की समस्या को भी रखता है। लेखिका बताती हैं कि पाठ्यपुस्तकों की विषयवस्तु से संवैधानिक, मानवीय और सामाजिक मूल्यों के बारे में सोचने के मौक़े बहुत कम बन पाते हैं, जबकि संजीदगी से चुनी गईं बाल साहित्य की किताबों पर बच्चों से अर्थपूर्ण सवाल–जवाब करने से इन मूल्यों पर गहराई से सोचने–विचारने की सम्भावनाएँ ज़्यादा बनती हैं। लेख में इस बात की समझ बनाने के लिए कई किताबों, उनकी विषयवस्तु और बातचीत के उदाहरण दिए गए हैं। –सं.
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