विज्ञापन के ज़रिए सम्प्रेषण कला और सामाजिक सोच का विकास

शर्मा, पतिभा (2023) विज्ञापन के ज़रिए सम्प्रेषण कला और सामाजिक सोच का विकास. Pathshala Bheetar Aur Bahar, 6 (18). pp. 25-30. ISSN 2582-483X

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Abstract

कक्षा की अपनी गति होती है। कई बार हम स्वाभाविक रूप से पढ़ते-पढ़ाते कुछ महत्त्वपूर्ण मुद्दों पर पहुँच जाते हैं। इस मौके से भागने की बजाय, इसका इस्तेमाल सीखने की प्रक्रिया को रोचक व बेहतर बनाने के लिए किया जा सकता है। लेखिका की कक्षा में भी ऐसा ही हुआ। कहानी से बढ़ते-बढ़ते बात विज्ञापन पर जा पहुँची और फिर विज्ञापन के अर्थ, ज़रूरत, समझ, उपयोग, आदि पर चर्चा की तरफ मुड़ गई। इस प्रक्रिया में बच्चों की विज्ञापन के बारे में समझ बनी, और स्वास्थ्य, सुन्दरता सहित कई मुद्दों पर अच्छी चर्चा भी हुई। साथ ही, बच्चों ने खुद विज्ञापन बनाते हुए अच्छे सम्प्रेषण की समझ भी विकसित की। - सं.

Item Type: Articles in APF Magazines
Authors: शर्मा, पतिभा
Document Language:
Language
Hindi
Subjects: Social sciences > Education
Divisions: Azim Premji University > University Publications > Pathshala Bheetar Aur Bahar
Full Text Status: Public
URI: http://publications.azimpremjiuniversity.edu.in/id/eprint/5585
Publisher URL:

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