चुनौती बस यही है कि शिक्षक सोचने-विचारने और पढ़ने-लिखने वाले बनें! शिक्षक धर्मपाल गंगवार से कमलेश चंद जोशी की बातचीत

UNSPECIFIED (2023) चुनौती बस यही है कि शिक्षक सोचने-विचारने और पढ़ने-लिखने वाले बनें! शिक्षक धर्मपाल गंगवार से कमलेश चंद जोशी की बातचीत. Paathshaala Bhitar aur Bahar, 5 (17). pp. 83-92. ISSN 2582-4836

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Abstract

भलेश जोशी : अपने बचपन और सामाजिक पृष्ठभूमि के बारे में कुछ बताइए। धर्मपाल गंगवार : हमारा परिवार, गाँव में रहता था। मेरे पिता बाहर सर्विस करते थे, और बाक़ी सब लोग खेती में लगे हुए थे। घर में सब पढ़ते थे। रात को दीदी, ताई, दादी कहानियाँ सुनाती थीं और हम लोग आसमान, पृथ्वी मण्डल देखते, चाँद तारों को निहारते तो मजा आता था। हम लोग ताऊ के साथ गाय-भैंस चराने जाते, घूमना, दिनभर गेंद बल्ला खेलना, और नदी किनारे का गाँव था तो नदी में नहाना। इस सबके साथ-साथ पढ़ाई भी चलती रही।

Item Type: Articles in APF Magazines
Document Language:
Language
Hindi
Subjects: Social sciences
Divisions: Azim Premji University > University Publications > Pathshala Bheetar Aur Bahar
Full Text Status: Public
URI: http://publications.azimpremjiuniversity.edu.in/id/eprint/5295
Publisher URL:

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