त्रिवेदी, अंजना
(2023)
भाषा की तरलता और अनुभव की गहनता से बनी मिट्टी का इत्र.
Paathshaala Bhitar aur Bahar, 5 (17).
pp. 79-82.
ISSN 2582-4836
Abstract
अनुभवों को दर्ज करने की प्रेरणा मिलेगी। इस किताब को पढ़ते हुए आप नीम के पेड़ पर आती-जाती गौरैया की चहलक़दमी देख-सुन सकते हैं, कोयल और कौवों की बातें सुन सकते हैं, नस्टुर्शियम पौधे के बारे में सोच सकते हैं, रात में खुले आसमान में सप्तऋषियों से गपशप कर सकते हैं और उनसे इशारा करके पूछ सकते हैं कि आज बारिश का कोई इरादा तो नहीं है न!
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