पढ़ना, अक्षर–मात्रा से आगे...
पालीवाल, मीनू (2023) पढ़ना, अक्षर–मात्रा से आगे... Pathshala Bheetar Aur Bahar. pp. 27-32.
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Abstract
शुरुआती पढ़ने–लिखने की प्रक्रिया में हमारा बोला और सुना हुआ भाषा का संसार काम आता है। कुछ शब्दों की पहचान के बाद बच्चे भाषा संरचना का यही आधार लेकर अपने पढ़ने का सफ़र शुरू करते हैं। भाषा एक सांस्कृतिक धरोहर के रूप में हमारे साथ चलती है और बच्चे उसका एक पूरा सन्दर्भ बनाकर पढ़ना सीख रहे होते हैं। ऐसे में शिक्षक की भूमिका एक सहयोगी की है, न कि मूल्यांकनकर्ता की। लेखिका मीनू पालीवाल ने अपने इस आलेख में कक्षा 2 और 3 के बच्चों के साथ कुछ लेखन नमूनों और उनके पढ़ने की प्रक्रिया का विश्लेषण करते हुए इस बात का विस्तृत अनुभव प्रस्तुत किया है। –सं
Item Type: | Articles in APF Magazines | ||
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Authors: | पालीवाल, मीनू | ||
Document Language: |
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Subjects: | Social sciences Social sciences > Education |
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Divisions: | Azim Premji University > University Publications > Pathshala Bheetar Aur Bahar | ||
Full Text Status: | Public | ||
URI: | http://publications.azimpremjiuniversity.edu.in/id/eprint/4832 | ||
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