कहानी और फ़िल्मों की जुगलबन्दी से मानवीय मूल्यों को सींचना सन्दर्भ : 13 नवम्बर - विश्व दयालुता दिवस

श्रीमाल, मंजु (2022) कहानी और फ़िल्मों की जुगलबन्दी से मानवीय मूल्यों को सींचना सन्दर्भ : 13 नवम्बर - विश्व दयालुता दिवस. Paathshaala Bhitar aur Bahar (12). pp. 62-65. ISSN 2582-4836

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Abstract

लिखना अपेक्षाकृत जटिल कौशल है। स्वतंत्र और मौलिक लेखन तो और भी कठिन है। अव्वल तो इसके मौक़े ही कम होते हैं, फिर सोचने–विचारने और अपनी अभिव्यक्ति को रख पानेके लिए जो अनुकूलता और अवसर चाहिए वो स्कूलों में मिलता ही नहीं। परिणामतः बच्चे लिख पानेमेंबहुत सहज नहीं होतेहैं। इसके अलावा, वर्तनी की अशुद्धियों पर शिक्षक की टिप्पणी और वाक्यविन्यास में कमी निकालने जैसी बातें बच्चों को लगातार हतोत्साहित करती हैं। मंजुश्रीमाली नेअपनेइस आलेख मेंदयालुता विषय पर बच्चों के लेखन सेजुड़ी हुई बारीक़ियों को रखनेकी कोशिश की है। साथ ही दयालुता विषय पर संवेदना और दृष्टि बनाने के लिए किए गए प्रयास पर भी टिपण्णी की है।

Item Type: Articles in APF Magazines
Authors: श्रीमाल, मंजु
Document Language:
Language
Hindi
Uncontrolled Keywords: School education, Language, Literature, Story
Subjects: Social sciences > Education
Divisions: Azim Premji University > University Publications > Pathshala Bheetar Aur Bahar
Full Text Status: Public
URI: http://publications.azimpremjiuniversity.edu.in/id/eprint/3727
Publisher URL:

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