नारायण, सत्य
(2022)
उत्तर खोजना बनाम प्रश्न बनाना.
Paathshaala Bhitar aur Bahar, 4 (11).
pp. 42-47.
ISSN 2582-4836
Abstract
सवालों के उत्तर देना हमारी परम्परागत शिक्षा व्यवस्था और कक्षा शिक्षण का एक अभिन्न हिस्सा है। पाठ्यपुस्तकें इसके लिए योजनाबद्ध तरीक़े सेगढ़ी और इस्तेमाल की जाती हैं। रटे–रटाए उत्तर देने के कौशल को आकलन और मूल्यांकन का आधार भी बनाया जाता है। और यही हमारी स्कूली शिक्षा का केन्द्र बिन्दु बना रहा है। किसी भी अवधारणा या मुद्दे को समझने, उसपर तर्क–वितर्क, उसे अन्य मुद्दों और अवधारणाओं के सन्दर्भ में समझने के लिए सिर्फ़ उत्तर खोज पाना, वो भी दिए गए प्रश्नों के लिए, काफ़ी नहीं है, बल्कि नए और तरह–तरह के प्रश्न गढ़ पाना भी ज्ञान निर्माण की प्रक्रिया का अहम हिस्सा है। सत्य नारायण नेअपनेइस आलेख मेंउत्तर खोजनेकी बजाय प्रश्न बनाने के कौशल पर किए गए कक्षा कार्य का अनुभव प्रस्तुत किया है।
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