, प्रभात
(2021)
स्कूल की अनकही कहानियाँ अब अनकही नही.
Paathshaala Bhitar aur Bahar, 3 (8).
pp. 88-92.
ISSN 2582-4836
Abstract
साहित्य यह मौक़े दता े ह क ै ि हम अनकही बातों को कह और सुन पाएँ। कम कही
और कम सुनी जानी वाली बातों को उनके पूरपने में, पूरी जीवन्तता और विश्वास के साथ
एक सहज विस्तार दे पाएँ। बाल साहित्य के प्रकाशन की दुनिया में पिछले दो दशकों से ये
प्रयास तज़े हुए हैं। इस आलखे मेंप्रभात ने एकलव्य प्रकाशन की ‘डिफरेंट टले ्स’ शृंखला
के एक कहानी संकलन स्कूल की अनकही कहानियाँ और एक अन्य किताब प्यारी मैडम
के बहाने इन अनकहे विषयों और जीवन चरित्रों का विश्लेषण किया है। स
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