सीखने की राह में पुस्तकालय का संग
जुयाल, सम्पूर्णानन्द (2021) सीखने की राह में पुस्तकालय का संग. Paathshaala Bhitar aur Bahar, 3 (8). pp. 81-87. ISSN 2582-4836
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Abstract
औपचारिक पाठ्यक्रम से इतर पुस्तकों का वृहद संसार है। यह संसार पढ़ने के आनन्द से तो भरा हैही, एक परिपक्व पाठक बनने की राह भी बनाता है। जिसे हम सीखना कहते हैंवह दरअसल पुस्तकों के इस संसार के बिना सम्भव ही नहीं। पुस्तकालय के माध्यम से यह जीवन को अलग–अलग सन्दर्भों मेंसमझनेके मौक़े देता है। साहित्य का यह रस स्कूली जीवन को तो सुगम बनाता ही है जीवनभर के लिए एक सक्रिय पाठक भी बनाता है। इस आलेख में लेखक ने पुस्तकालय के इसी प्रभाव से जुड़े अपने अनुभवों को साझा किया है। सं
Item Type: | Articles in APF Magazines | ||
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Authors: | जुयाल, सम्पूर्णानन्द | ||
Document Language: |
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Uncontrolled Keywords: | Education, Primary education, School, Teaching learning, Library | ||
Subjects: | Social sciences > Education | ||
Divisions: | Azim Premji University > University Publications > Pathshala Bheetar Aur Bahar | ||
Full Text Status: | Public | ||
URI: | http://publications.azimpremjiuniversity.edu.in/id/eprint/2824 | ||
Publisher URL: |
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